31 अक्टूबर 2025 – शुक्रवार का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार बेहद शुभ और मंगलकारी है। इस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी और दशमी तिथि है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करना, नया वाहन खरीदना, गृह प्रवेश, व्यापार शुरू करना और धार्मिक कार्य करना अत्यंत लाभदायक रहेगा।
पंचांग क्या है – kal ka panchang kya hai
पंचांग हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। पंचांग शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – पंच (पांच) और अंग (भाग)। पंचांग में पांच प्रमुख तत्व होते हैं जो किसी भी दिन की ज्योतिषीय स्थिति को निर्धारित करते हैं।
पंचांग के पांच अंग
- तिथि – चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित चंद्र दिवस
- वार – सप्ताह का दिन (रविवार से शनिवार तक)
- नक्षत्र – चंद्रमा जिस तारामंडल में स्थित हो
- योग – सूर्य और चंद्र की संयुक्त स्थिति
- करण – तिथि का आधा भाग
पंचांग का उपयोग शुभ मुहूर्त निकालने, त्योहारों की तिथि जानने, विवाह मुहूर्त निर्धारण, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है।
31 अक्टूबर 2025 का पूर्ण पंचांग विवरण
दिनांक और मास विवरण
तिथि: 31 अक्टूबर 2025 वार: शुक्रवार हिंदू मास: कार्तिक मास पक्ष: शुक्ल पक्ष संवत: विक्रम संवत 2082 (कालयुक्त संवत्सर) शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
तिथि विवरण – kal ka panchang tithi
प्रातः तिथि: नवमी (शुक्ल पक्ष)
तिथि समाप्ति समय: प्रातः 10:03 बजे (10:05 बजे तक)
उपरांत तिथि: दशमी
कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 10:03 बजे तक रहेगी, उसके बाद दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। नवमी तिथि देवी दुर्गा की आराधना के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य अत्यंत फलदायी होते हैं।
नक्षत्र विवरण
प्रातः नक्षत्र: धनिष्ठा नक्षत्र
नक्षत्र परिवर्तन समय: संध्या 6:51 बजे (18:51 बजे तक)
उपरांत नक्षत्र: शतभिषा नक्षत्र
धनिष्ठा नक्षत्र भगवान शिव से संबंधित है और इसमें धन संबंधी कार्य करना शुभ माना जाता है। संध्या 6:51 बजे के बाद शतभिषा नक्षत्र प्रारंभ होगा जो वरुण देवता द्वारा शासित है।
योग विवरण
प्रातः योग: वृद्धि योग
योग समाप्ति समय: प्रातः 4:31 बजे तक (या 28:31 – अगले दिन सुबह तक)
उपरांत योग: ध्रुव योग
वृद्धि योग वृद्धि और विकास के लिए उत्तम माना जाता है। इस योग में नए व्यापार, निवेश और विस्तार संबंधी कार्य करना लाभदायक होता है। ध्रुव योग स्थिरता प्रदान करने वाला योग है।
करण विवरण
31 अक्टूबर 2025 को तीन करण होंगे:
- कौलव करण: सुबह से प्रातः 10:04 बजे तक
- तैतिल करण: 10:04 बजे से रात्रि 9:44 बजे तक
- गर करण: रात्रि 9:44 बजे के बाद
तैतिल करण सामान्य शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त है। गर करण में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए।
चंद्रमा और सूर्य की स्थिति
चंद्र राशि: मकर राशि (06:48 बजे तक), उपरांत कुंभ राशि सूर्य राशि: तुला राशि ऋतु: हेमंत ऋतु (शरद ऋतु का अंत)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय समय: प्रातः 06:31 बजे (लगभग) सूर्यास्त समय: संध्या 05:37 बजे (लगभग) चंद्रोदय समय: दोपहर 02:16 बजे (लगभग) चंद्रास्त समय: अगले दिन प्रातः 01:41 बजे (लगभग)
नोट: ये समय स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। अपने शहर का सटीक समय जानने के लिए स्थानीय पंचांग देखें।
शुभ मुहूर्त – 31 अक्टूबर 2025
ब्रह्म मुहूर्त
समय: प्रातः 04:45 बजे से 05:33 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे पवित्र और शुभ माना जाता है। इस समय जागना, ध्यान, योग और पूजा-पाठ करना अत्यंत लाभदायक है। यह समय आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।
अभिजित मुहूर्त
समय: दोपहर 11:45 बजे से 12:31 बजे तक (लगभग)
अभिजित मुहूर्त दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है। यह प्रतिदिन मध्याह्न के समय होता है। इस मुहूर्त में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल होता है। व्यापार प्रारंभ, यात्रा, संपत्ति खरीद और महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए यह समय उत्तम है।
गोधूलि मुहूर्त
समय: संध्या 05:37 बजे से 06:01 बजे तक
सूर्यास्त के समय का यह मुहूर्त पूजा-आराधना के लिए विशेष शुभ माना जाता है। गोधूलि बेला में दीप जलाना और आरती करना अत्यंत फलदायी है।
अमृत काल
समय: दोपहर 03:22 बजे से 04:48 बजे तक (लगभग)
अमृत काल में किया गया कोई भी कार्य अमृत के समान फलदायी होता है। इस समय में धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और शुभ कार्य करना विशेष लाभदायक है।
विजया मुहूर्त
समय: दोपहर 02:04 बजे से 02:51 बजे तक
विजया मुहूर्त विजय प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ समय है। इस मुहूर्त में कोई भी नया कार्य प्रारंभ करना, प्रतियोगिता में भाग लेना या महत्वपूर्ण साक्षात्कार के लिए जाना शुभ रहता है।
अशुभ समय – राहुकाल और अन्य
राहुकाल – Rahu Kaal
शुक्रवार का राहुकाल समय: प्रातः 09:00 बजे से 10:30 बजे तक (लगभग)
राहुकाल का समय दिन का सबसे अशुभ समय माना जाता है। इस समय में कोई भी नया शुभ कार्य, यात्रा प्रारंभ करना, व्यापार शुरू करना, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश या वाहन खरीदना वर्जित है। हालांकि, पहले से चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है।
राहुकाल से बचाव के उपाय:
- राहुकाल में हनुमान चालीसा का पाठ करें
- शिव मंत्र का जाप करें
- काले तिल का दान करें
यमगंड काल
समय: मध्याह्न 12:00 बजे से 01:30 बजे तक (लगभग)
यमगंड काल को मृत्यु तुल्य समय माना जाता है। इस समय में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
गुलिक काल
समय: प्रातः 07:30 बजे से 09:00 बजे तक (लगभग)
गुलिक काल भी अशुभ समय होता है और इसमें नए कार्य शुरू नहीं करने चाहिए।
दिशा शूल
31 अक्टूबर 2025 को दिशा शूल: पश्चिम दिशा
शुक्रवार को पश्चिम दिशा में शूल होता है, इसलिए इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
चौघड़िया मुहूर्त – 31 अक्टूबर 2025
चौघड़िया पद्धति से दिन और रात को आठ-आठ भागों में बांटा जाता है। प्रत्येक भाग लगभग डेढ़ घंटे का होता है।
दिन का चौघड़िया (सूर्योदय से सूर्यास्त तक)
- शुभ – 06:31 बजे से 07:58 बजे तक
- विवाह, शिक्षा, धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम
- अमृत – 07:58 बजे से 09:25 बजे तक
- सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय
- काल – 09:25 बजे से 10:52 बजे तक
- अशुभ समय, शुभ कार्य करने से बचें
- लाभ – 10:52 बजे से 12:19 बजे तक
- व्यापार, शिक्षा और नए कार्य प्रारंभ करने के लिए उत्तम
- उद्वेग – 12:19 बजे से 01:46 बजे तक
- सरकारी कार्यों के लिए उपयुक्त, अन्यथा अशुभ
- चल – 01:46 बजे से 03:13 बजे तक
- यात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अच्छा
- रोग – 03:13 बजे से 04:40 बजे तक
- अशुभ समय, चिकित्सा परामर्श भी इस समय न लें
- काल – 04:40 बजे से 06:07 बजे तक
- अशुभ समय
रात्रि का चौघड़िया (सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय तक)
- शुभ – 05:37 बजे से 07:04 बजे तक
- अमृत – 07:04 बजे से 08:31 बजे तक
- चल – 08:31 बजे से 09:58 बजे तक
- रोग – 09:58 बजे से 11:25 बजे तक
- काल – 11:25 बजे से 12:52 बजे तक
- लाभ – 12:52 बजे से 02:19 बजे तक
- उद्वेग – 02:19 बजे से 03:46 बजे तक
- शुभ – 03:46 बजे से 05:13 बजे तक
नोट: ये समय अनुमानित हैं और स्थान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
विभिन्न प्रकार के पंचांग – Different Major Panchangs
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पंचांगों का उपयोग किया जाता है। यद्यपि सभी पंचांग वैदिक ज्योतिष पर आधारित हैं, लेकिन क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार इनमें कुछ भिन्नताएं हो सकती हैं।
1. विक्रम संवत पंचांग
यह उत्तर भारत में सबसे अधिक प्रचलित पंचांग है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में इसका विशेष उपयोग होता है। विक्रम संवत 57 ईसा पूर्व से प्रारंभ हुआ माना जाता है।
31 अक्टूबर 2025: विक्रम संवत 2082, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, नवमी-दशमी
2. शक संवत पंचांग
शक संवत भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय कैलेंडर है। यह 78 ईस्वी से प्रारंभ हुआ। दक्षिण भारत में इसका अधिक उपयोग होता है।
31 अक्टूबर 2025: शक संवत 1947, आश्विन/कार्तिक
3. बंगाली पंजिका
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में बंगाली पंजिका का उपयोग होता है। यह सौर पंचांग पर आधारित है।
4. तमिल पंचांगम
तमिलनाडु में तमिल पंचांगम का उपयोग किया जाता है। यह भी मुख्यतः सौर कैलेंडर पर आधारित है।
5. मलयालम पंचांगम
केरल में मलयालम पंचांगम प्रचलित है, जिसमें कोल्लम युग का उपयोग होता है।
6. कन्नड़ पंचांग
कर्नाटक में कन्नड़ पंचांग का उपयोग किया जाता है।
7. तेलुगु पंचांगम
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेलुगु पंचांगम प्रचलित है।
8. गुजराती पंचांग
गुजरात में गुजराती पंचांग का उपयोग होता है, जो कार्तिक महीने से नया वर्ष शुरू करता है।
9. मराठी पंचांग
महाराष्ट्र में मराठी पंचांग का उपयोग किया जाता है।
10. ओडिया पंजी
ओडिशा में ओडिया पंजी (पंचांग) का विशेष महत्व है।
सभी पंचांग वैदिक सिद्धांतों पर आधारित हैं और मूल तत्व समान हैं, केवल गणना पद्धति और क्षेत्रीय परंपराओं में अंतर है।
पंचांग का महत्व और उपयोग
धार्मिक महत्व
पंचांग हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सभी धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और त्योहारों की सही तिथि और समय निर्धारित करता है। बिना पंचांग के कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता।
व्यावहारिक उपयोग
- विवाह मुहूर्त: शादी की तिथि और समय निर्धारण
- गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश का शुभ समय
- व्यापार प्रारंभ: नया व्यवसाय शुरू करने का मुहूर्त
- संपत्ति खरीद: जमीन, मकान या वाहन खरीदने का समय
- नामकरण संस्कार: बच्चे का नाम रखने का मुहूर्त
- यात्रा: लंबी यात्रा के लिए शुभ समय
- परीक्षा: महत्वपूर्ण परीक्षा या साक्षात्कार का समय
- चिकित्सा: शल्य चिकित्सा या उपचार शुरू करने का समय
ज्योतिषीय महत्व
पंचांग ज्योतिष शास्त्र का आधार है। यह ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति बताता है और उनके प्रभाव के आधार पर शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करता है। ज्योतिषी पंचांग के आधार पर:
- जन्मपत्री बनाते हैं
- भविष्यफल बताते हैं
- राशिफल तैयार करते हैं
- उपाय सुझाते हैं
31 अक्टूबर 2025 को करने योग्य कार्य
शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 के दिन निम्नलिखित कार्य करना शुभ रहेगा:
शुभ कार्य
- लक्ष्मी पूजन: शुक्रवार माता लक्ष्मी का दिन है, इस दिन लक्ष्मी पूजन अत्यंत फलदायी है
- वाहन खरीद: नया वाहन खरीदना शुभ रहेगा
- आभूषण खरीदारी: स्वर्ण या रजत आभूषण खरीदना लाभदायक
- व्यापार प्रारंभ: नया व्यवसाय शुरू करना
- धन निवेश: संपत्ति में निवेश करना
- शिक्षा प्रारंभ: नई विद्या या कौशल सीखना शुरू करना
- सौंदर्य प्रसाधन: सौंदर्य उपचार और शृंगार का कार्य
विशेष पूजा विधि
सुबह की पूजा:
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें
- गणेश-लक्ष्मी की पूजा करें
- 108 बार “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद” मंत्र का जाप करें
संध्या की पूजा:
- गोधूलि बेला में दीप प्रज्वलित करें
- लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें
- तुलसी पूजन करें
पंचांग कैसे पढ़ें – How to Read Panchang
पंचांग पढ़ना सरल है यदि आप इसके मूल तत्वों को समझ लें:
चरण 1: तिथि देखें
सबसे पहले दिन की तिथि और उसके समाप्ति का समय देखें। यदि दो तिथियां हैं तो दोनों का समय नोट करें।
चरण 2: नक्षत्र जानें
नक्षत्र की जानकारी से विशेष पूजा और कार्यों का निर्धारण होता है।
चरण 3: योग और करण देखें
योग और करण से दिन की विशेष ऊर्जा का पता चलता है।
चरण 4: राहुकाल नोट करें
राहुकाल का समय अवश्य देखें और इस समय में शुभ कार्य न करें।
चरण 5: शुभ मुहूर्त चुनें
अभिजित मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त और चौघड़िया के आधार पर शुभ समय चुनें।
सामान्य लोगों के लिए सरल सारांश
31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार का दिन बहुत शुभ है। यह कार्तिक मास की नवमी और दशमी तिथि है। सुबह 10 बजे तक नवमी तिथि रहेगी।
क्या करें:
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें
- माता लक्ष्मी की पूजा करें
- नया सामान, वाहन या आभूषण खरीद सकते हैं
- नया काम शुरू कर सकते हैं
- व्यापार या नौकरी से संबंधित महत्वपूर्ण बैठक कर सकते हैं
क्या न करें:
- सुबह 9 से 10:30 बजे तक (राहुकाल) कोई नया काम शुरू न करें
- पश्चिम दिशा में यात्रा से बचें
- राहुकाल में वाहन न खरीदें
सबसे अच्छा समय:
- सुबह 7:58 से 9:25 बजे तक (अमृत चौघड़िया)
- दोपहर 11:45 से 12:31 बजे तक (अभिजित मुहूर्त)
- दोपहर 10:52 से 12:19 बजे तक (लाभ चौघड़िया)
यह दिन धन, वैभव और समृद्धि के लिए विशेष है। माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करें।
ऑनलाइन पंचांग के फायदे
आधुनिक युग में ऑनलाइन पंचांग देखना बहुत सरल हो गया है। आप अपने मोबाइल फोन पर कभी भी:
- आज का पंचांग (aaj ka panchang) देख सकते हैं
- कल का पंचांग (kal ka panchang) देख सकते हैं
- किसी भी तिथि का पंचांग देख सकते हैं
- अपने शहर के अनुसार सटीक समय जान सकते हैं
- शुभ मुहूर्त तुरंत प्राप्त कर सकते हैं
निष्कर्ष
31 अक्टूबर 2025 का पंचांग अत्यंत शुभ और मंगलकारी है। यह शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में यह दिन धन-समृद्धि, व्यापार वृद्धि और नए कार्यों के आरंभ के लिए उत्तम है।
पंचांग का ज्ञान प्राचीन भारतीय विज्ञान का अमूल्य हिस्सा है जो हमें ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है। नियमित रूप से पंचांग देखने से हम अपने दैनिक जीवन को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित कर सकते हैं और जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
आज का यह दिन आपके लिए मंगलमय हो और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: kal ka panchang kaise dekhen? उत्तर: कल का पंचांग देखने के लिए ऑनलाइन पंचांग वेबसाइट या मोबाइल ऐप का उपयोग करें। अपना शहर चुनें और तिथि डालें।
प्रश्न 2: kal ka panchang in hindi kahan milega? उत्तर: हिंदी में कल का पंचांग विभिन्न ज्योतिष वेबसाइटों और ऐप्स पर उपलब्ध है। आप दैनिक समाचार पत्रों में भी हिंदी पंचांग देख सकते हैं।
प्रश्न 3: पंचांग क्यों देखना जरूरी है? उत्तर: पंचांग देखना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह शुभ-अशुभ समय बताता है और किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए सही मुहूर्त निर्धारित करने में मदद करता है।
प्रश्न 4: राहुकाल में क्या नहीं करना चाहिए? उत्तर: राहुकाल में नया कार्य शुरू करना, यात्रा प्रारंभ करना, विवाह संस्कार, वाहन खरीदना और अन्य शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
प्रश्न 5: शुक्रवार कौन सी पूजा करनी चाहिए? उत्तर: शुक्रवार को माता लक्ष्मी, देवी दुर्गा और संतोषी माता की पूजा करनी चाहिए। यह दिन धन और समृद्धि के लिए विशेष है।
ध्यान दें: यह पंचांग सामान्य जानकारी के लिए है। विशेष मुहूर्त और व्यक्तिगत परामर्श के लिए योग्य ज्योतिषी से संपर्क करें। समय स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।
